भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कि धारा:- 222
(लोक सेवक की सहायता करने का लोप, जब कि सहायता देने के लिए विधि द्वारा आबद्ध हो)
जो कोई किसी लोक सेवक को, उसके लोक कर्त्तव्य के निष्पादन में सहायता देने या पहुंचाने के लिए विधि द्वारा आबद्ध होते हुए, ऐसी सहायता देने का जानबूझकर लोप करेगा, -
(क) वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि एक मास तक की हो सकेगी या जुर्माने से, जो दो हजार पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा;
(ख) और ऐसी सहायता की मांग उससे ऐसे लोक सेवक द्वारा, जो ऐसी मांग करने के लिए विधिक रूप से सक्षम हो, न्यायालय द्वारा विधिपूर्वक निकाली गई किसी आदेशिका के निष्पादन के, या अपराध के किए जाने का निवारण करने के, या बल्वे या दंगे को दबाने के, या ऐसे व्यक्ति को, जिस पर अपराध का आरोप है या जो अपराध का या विधिपूर्ण अभिरक्षा से निकल भागने का दोषी है, पकड़ने के प्रयोजनों से की जाए, तो वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो पांच हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
अपराध का वर्गीकरण
खंड (क):- सजा:-1 मास के लिए सादा कारावास, या 2,500 रुपए का जुमार्ना, या दोनों
अपराध:- असंज्ञेय
जमानत:- जमानतीय
विचारणीय:- कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नही किया जा सकता हैं।
खंड (ख):- सजा:- 6 मास के लिए सादा कारावास, या 5,000 रुपए का जुर्माना, या दोनों
अपराध:- असंज्ञेय
जमानत:- जमानतीय
विचारणीय:- कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय
अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नही किया जा सकता हैं।
(IPC) की धारा 187 को (BNS) की धारा 222 में बदल दिया गया है। - अगर आप चाहे तो लोगो पर क्लिक करके देख सकते है |